...is "Celebrating (un)Common Creativity!" Fan fiction, artworks, extreme genres & smashing the formal "Fourth wall"...Join the revolution!!! - Mohit Trendster

Tuesday, May 29, 2012

चमचा बनकर चमको


कभी कभी यह सवाल दिमाग में खलबली मचाता घूमता रहता है...की भारत  देश विश्वभर कें अपने लम्बे इतिहास में अपनी  अलग सफल और  महत्वपूर्ण  जगह  कैसे रखता है? वो  क्या चीज़ है जो हमेशा इसे मजबूती से थामे  रहती  है !अगर यह सवाल किसी   से पूछा जाए तो कई धार्मिक,सांस्कृतिक कारण गिना देगा..लेकिन किसी देश के प्रभावशाली  ढंग से सफल होने का सबसे बड़ा कारण राजनीतिक होता है!
"राजनीतिक कारण" यानी शासक वर्ग...लेकिन इसका  मतलब किसी राजा से नहीं है....क्यूंकि  आज के आधुनिक प्रजातांत्रिक युग में कहीं कोई राजा नहीं है..तो सफलता और विफलता का कारण क्या है...किसी के पास?
चलिए इसे देश जितने बड़े स्तर पर नहीं देखते...किसी आम  संस्थान  या कंपनी की सफलता किसपर   निर्भर करती है?
क्या उसका मुखिया ही सारी सफलता का श्रेय  लेने का अकेला अधिकारी   होता है..चाहे  सफलता में उसका योगदान 10 % भी ना हो?
भारत में एक कहावत पुराने समय से चली आ रही है....."किसी भी युद्ध में चाहे लाखो सिपाही लडें-मरें..जीत का सेहरा सिर्फ सेनापति के सिर सजता है(चाहे सेनापति पूरे युद्ध में कायर की तरह जान बचाता ही फिर हो तब भी...हाहाहा)
और इस सेनापति के सिर पर जीत का सेहरा सजवाने का काम करते हैं...चाटुकार या आम भाषा में "चमचा"
अब पूछा जाएगा की चाटुकार किस  बला  का नाम होता  है?
हमेशा से परदे के पीछे  रहते  हुए किसी का सिक्का किसी भी शासन  संस्था में चलता रहा है...तो वो चाटुकार वर्ग का है यानी चमचो का!

एक अच्छा.... काबिल और महान चमचा कहलाने के लिए योग्य व्यक्ति के अन्दर कुछ विशिष्ट गुणों का होना बहुत जरूरी है..जैसे ...धूर्तता,सफ़ेद झूठ  बोलने में महारत ...अपने मालिक की हर  बुराई और गलती को सच्चाई का लिबास पहनाने की निपुणता...वक़्त देखकर अपने हित में गधे की सवारी भी कर  लेने की प्रवीणता..उच्च कोटि का काइयांपना,और सबसे बड़ा गुण... शासक वर्ग को इस तरह से अपने अधीन कर लेना  कि वो सिर्फ एक rubber stamp बनकर  रह जाए!  

चमचो का काम होता है..कंपनी सिस्टम में आने वाले हर गुणी-विद्वान और मेहनती लोगों  के हर काम में अपनी टांग अड़ाकर उसमे  अपने फायदे के रास्ते  खोजते रहना..उनके कामो को खराब करना..इसके   लिए साम- दाम -दंड- भेद...हर तरह का पैंतरा एक काबिल चमचे के पास होता  है!
इसलिए अगर किसी व्यक्ति कि आत्मा मर चुकी है और उसे  बढती बेरोजगारी के इस युग में एक ऐसे  काम कि तलाश हो..जिसमे ईमानदारी और सच्चाई किसी काले  कोने में रखे हो...तो किसी संस्था के चमचो में शामिल होकर कम समय में बेनाम से बादशाह बनकर अपना सितारा चमका सकता है!

है कोई ऐसा गुणवान...........चमचा ;)