Self-immolation earlier today in Tibet. This
photo shows 58 year old Dorjee Rinchen who had self-immolated near
Labrang Monastery, calling for freedom in Tibet and return of the Dalai
Lama. Dorjee Rinchen is the 6th person to have self-immolated in this
month alone. Faced with unendurable conditions, Tibetans continue
to light themselves on fire as their only means of protest - getting
arrested and enduring years of torture in jail not being considered a
viable alternative. More than fifty have done so in recent months.
I dedicate this poem to Non-Violent Struggle of the Tibetan People.....
I dedicate this poem to Non-Violent Struggle of the Tibetan People.....
दौर को चंद बातों से लाँघने की बिसात...
खुद मे धूल और चिंगारी समेटे वो किताब..
बंद हाथो की मुट्ठी मे वो ख्वाब...
आ छीन मुझसे मेरी आज़ादी का रुआब!!
मेरे दिल की लौ से चिढती जो ये रात..
मारा गया जो नहीं चला खूनी कारवाँ के साथ...
कारवाँ से अलग अपने आशिएं मे है एक जिंदा लाश...
तेरा निज़ाम नहीं फ़ब्ता उसे, ओ नवाब..
आ छीन मुझसे मेरी आज़ादी का रुआब!!
जंग तुझसे नहीं तेरे खयालो से है...
बात मेरे ज़हन मे जलते सवालो की है...
गलत होकर भी सही ठहराये गये जवाबो से है...
जिनके पीछे रहकर तू राज करता उन हिजाबो से है...
अपने लोगो की झुकी आँखों मे झाँक...उनमे...
...ज़ालिम तेरा अक्स नहीं...
....दिखेगा तुझे...मेरी आज़ादी का रुआब!!
शुक्रिया भी अदा करना है तेरा...
तेरे कायदों की कैद ने ही सिखाया असल जेहाद...
तेरी बंदिशें नाकाफी रहीं.. ..
मेरी आँखें तो कब से खुला आसमाँ देख रहीं...
कभी इस आसमाँ के नीचे हटेगा तेरा संगदिल नकाब...
तब फुर्सत मे देखना...मेरी आज़ादी का रुआब!!
तेरे फ़रेबो से बड़ा...
फितरत से बुजदिल सदा..
हर मौसम मे मनहूस खड़ा..
तेरी हर बुराई पर भारी पड़ा...
बड़ा ढीट है यह....मेरी आज़ादी का रुआब!!
खुद मे धूल और चिंगारी समेटे वो किताब..
बंद हाथो की मुट्ठी मे वो ख्वाब...
आ छीन मुझसे मेरी आज़ादी का रुआब!!
मेरे दिल की लौ से चिढती जो ये रात..
मारा गया जो नहीं चला खूनी कारवाँ के साथ...
कारवाँ से अलग अपने आशिएं मे है एक जिंदा लाश...
तेरा निज़ाम नहीं फ़ब्ता उसे, ओ नवाब..
आ छीन मुझसे मेरी आज़ादी का रुआब!!
जंग तुझसे नहीं तेरे खयालो से है...
बात मेरे ज़हन मे जलते सवालो की है...
गलत होकर भी सही ठहराये गये जवाबो से है...
जिनके पीछे रहकर तू राज करता उन हिजाबो से है...
अपने लोगो की झुकी आँखों मे झाँक...उनमे...
...ज़ालिम तेरा अक्स नहीं...
....दिखेगा तुझे...मेरी आज़ादी का रुआब!!
शुक्रिया भी अदा करना है तेरा...
तेरे कायदों की कैद ने ही सिखाया असल जेहाद...
तेरी बंदिशें नाकाफी रहीं.. ..
मेरी आँखें तो कब से खुला आसमाँ देख रहीं...
कभी इस आसमाँ के नीचे हटेगा तेरा संगदिल नकाब...
तब फुर्सत मे देखना...मेरी आज़ादी का रुआब!!
तेरे फ़रेबो से बड़ा...
फितरत से बुजदिल सदा..
हर मौसम मे मनहूस खड़ा..
तेरी हर बुराई पर भारी पड़ा...
बड़ा ढीट है यह....मेरी आज़ादी का रुआब!!
- Mohit Sharma (Trendster/Trendy Baba)
tragic!!!! India should do sumthing. meri azadi ka ruaab wow wow wow
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