नकलची समाज (भाग - 1)
रचनात्मक कार्यो में मुझे नक़ल से सख्त नफरत है और ये बात मैंने पहले भी अपनी रचनाओ, लेखों में रखी है।
मेरे कुछ अच्छे दोस्तों ने मुझसे कहा कि उन्हें नक़ल/चीटिंग का मतलब समझाऊँ।
तो इन दो लेखों से समझाने की कोशिश करता हूँ, पहली कड़ी आज लिख रहा हूँ।
नक़ल करने का अर्थ है किसी कि रचना को उठा कर अपने तरीके से कर देन। सब तो बैठे-बिठाये मिल गया, एक रचना से जुड़ीं जो महत्वपूर्ण बातें है वो तो आपने की ही नहीं तो आप सच्चे रचनाकार कहाँ हुआ, आप एक तरह से अच्छे प्रबंधक, संपादक कहे जा सकते है पर रचनाकार नहीं। मै यहाँ लेखन के क्षेत्र से उदाहरण दूंगा जो दूसरे पेशों पर भी लागू होतें है, अधिकतर लोकप्रिय रचनाओ कि बेशर्मी से चोरी की जाती है क्योकि लेखक और प्रकाशक सोचते है कि ऐसा करना एक सुरक्षित निवेश का निर्णय है क्योकि दूसरे देशो के पाठक वैसी कहानियों को सराह चुके है तो यहाँ भी उनकी स्वीकृति की गुंजाइश बढ़ जाती है। एक गलत धारणा ये भी रहती है मन मे की इतनी बड़ी दुनिया मे हर तरह की चीज़ लिखी जा चुकी है, की जा चुकी है तो अब कुछ भी नया या ओरिजनल नहीं बनाया जा सकता।
आप अगर गौर करें तो हर किताब, फिल्म में घटनाओं का क्रम, कहानी का फ्लो आदि अलग रहता है और कुछ संवाद, घटना अलग रहती है पर मुख्य कहानी का आईडिया नक़ल रहता है, अगर इतनी ही मजबूरी और दबाव है हमे एक फिल्म में कुछ अलग सीन्स और संवाद की जगह पूरी फिल्म को नए संवाद और अलग सीन्स देने की कोशिश करनी चाहिए और कहानी को छोटी-छोटी इकाइयों मे बांट कर देखना चाहिए की वो कुछ नयी और अलग लग रही है या नहीं।
अब देता हूँ कॉपी या नक़ल पर अपना निष्कर्ष, बात नया काम करने कि तो बाद में आती है पर आपका काम और कहानी में वर्णित घटनाएँ अब तक आयीं रचनाओं से अलग तो हों, पाठको को लगे तो सही की आपने मेहनत कि है। अगर आपकी कहानी पढ़ते हुए दिमाग में कोई विदेशी कॉमिक, किताब, सीरियल, फिल्म आ जाए तो ये बेशर्मी से की गयी नक़ल है। आप सुरक्षित खेल रहे हो (और अपना समय, धन बचाना चाहते हो) पर लम्बे समय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाने के लिए अपने अलग पहचान चिन्ह होना ज़रूरी है, कुछ लोग तो हद ही कर देते है जो ओरिजिनल कहानी का क्रम तक ज्यूं का त्यूं रखते है। ये बहाना देना कि अलग कहानियों को पाठक पसंद नहीं करेंगे तो यह आपकी भूल है, विश्व में कई ऐसे प्रकाशक है जो लगातार अलग काम कर रहे है और सफल है।
ये एक बहुत बड़ी चोरी है पर विडंबना यह है कि इस अपराध की कोई सज़ा नहीं है, और जिस देश में बड़ी सज़ा वाले अपराधो की संख्या इतनी अधिक है उसमे बिना सज़ा वाले अपराध की क्या औकात होगी? नए वाकये, लोग, बातें यहीं हमारे सामने है बस उन्हें महसूस कर पहचानने की ज़रुरत है। पेशेवर लेखकों, कवियों पर अगले लेख में प्रकाश डालूँगा अभी शौकिया चोरों की हरकतें देखते है। इंटरनेट की अनंत दुनिया का फायदा उठा कर कुछ लोग बड़ी शान से दूसरो के काम को अपना नाम दे देते है (कभी कबार अपने दोस्तों का ध्यान आकर्षित करने के लिए कुछ लोग ऐसा करते है और कभी-कभी ऐसा करना चल जाता है पर लगातार हर दूसरे-तीसरे दिन आदतवश नहीं), फिर ये आदत बन जाती है, ज़रा सी तारीफ़ के लिए झूठे दावे किये जाते है और नक़ल का स्तर बढ़ जाता है। धीरे-धीरे इनके बिना कुछ किये इनके हजारो-लाखों प्रशंषक बन जाते है और तब ये लोग पीछे न हटने वाली स्थिति में आ जाते है। और जिन कलाकारों का काम चोरी किया जाता है वो नेट के किन्ही छोटे से कोनो में लोगो कि प्रतिक्रिया के लिए तरसते रह जाते है। आप अपना समय और मेहनत किसी और काम में लगा सकते है। 1-2 साल बाद कोई महान हस्ती आपकी इस नक़ल कि समीक्षा नहीं करने वाली, कोई विकिपीडिया पेज नहीं बनने वाला आपका ऐसा करके। तो यही निवेदन है की आज आज से ही नक़ल को तौबा कीजिये क्योकि अपने देश में पहले से ही बहुत से फ्री की खाने वाले प्रीतम, बप्पी लहरी जैसे लोगो की फ़ौज पड़ी है।
.............क्रमशः
- मोहित शर्मा (ट्रेंडी बाबा)
नक़ल करने का अर्थ है किसी कि रचना को उठा कर अपने तरीके से कर देन। सब तो बैठे-बिठाये मिल गया, एक रचना से जुड़ीं जो महत्वपूर्ण बातें है वो तो आपने की ही नहीं तो आप सच्चे रचनाकार कहाँ हुआ, आप एक तरह से अच्छे प्रबंधक, संपादक कहे जा सकते है पर रचनाकार नहीं। मै यहाँ लेखन के क्षेत्र से उदाहरण दूंगा जो दूसरे पेशों पर भी लागू होतें है, अधिकतर लोकप्रिय रचनाओ कि बेशर्मी से चोरी की जाती है क्योकि लेखक और प्रकाशक सोचते है कि ऐसा करना एक सुरक्षित निवेश का निर्णय है क्योकि दूसरे देशो के पाठक वैसी कहानियों को सराह चुके है तो यहाँ भी उनकी स्वीकृति की गुंजाइश बढ़ जाती है। एक गलत धारणा ये भी रहती है मन मे की इतनी बड़ी दुनिया मे हर तरह की चीज़ लिखी जा चुकी है, की जा चुकी है तो अब कुछ भी नया या ओरिजनल नहीं बनाया जा सकता।
आप अगर गौर करें तो हर किताब, फिल्म में घटनाओं का क्रम, कहानी का फ्लो आदि अलग रहता है और कुछ संवाद, घटना अलग रहती है पर मुख्य कहानी का आईडिया नक़ल रहता है, अगर इतनी ही मजबूरी और दबाव है हमे एक फिल्म में कुछ अलग सीन्स और संवाद की जगह पूरी फिल्म को नए संवाद और अलग सीन्स देने की कोशिश करनी चाहिए और कहानी को छोटी-छोटी इकाइयों मे बांट कर देखना चाहिए की वो कुछ नयी और अलग लग रही है या नहीं।
अब देता हूँ कॉपी या नक़ल पर अपना निष्कर्ष, बात नया काम करने कि तो बाद में आती है पर आपका काम और कहानी में वर्णित घटनाएँ अब तक आयीं रचनाओं से अलग तो हों, पाठको को लगे तो सही की आपने मेहनत कि है। अगर आपकी कहानी पढ़ते हुए दिमाग में कोई विदेशी कॉमिक, किताब, सीरियल, फिल्म आ जाए तो ये बेशर्मी से की गयी नक़ल है। आप सुरक्षित खेल रहे हो (और अपना समय, धन बचाना चाहते हो) पर लम्बे समय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाने के लिए अपने अलग पहचान चिन्ह होना ज़रूरी है, कुछ लोग तो हद ही कर देते है जो ओरिजिनल कहानी का क्रम तक ज्यूं का त्यूं रखते है। ये बहाना देना कि अलग कहानियों को पाठक पसंद नहीं करेंगे तो यह आपकी भूल है, विश्व में कई ऐसे प्रकाशक है जो लगातार अलग काम कर रहे है और सफल है।
ये एक बहुत बड़ी चोरी है पर विडंबना यह है कि इस अपराध की कोई सज़ा नहीं है, और जिस देश में बड़ी सज़ा वाले अपराधो की संख्या इतनी अधिक है उसमे बिना सज़ा वाले अपराध की क्या औकात होगी? नए वाकये, लोग, बातें यहीं हमारे सामने है बस उन्हें महसूस कर पहचानने की ज़रुरत है। पेशेवर लेखकों, कवियों पर अगले लेख में प्रकाश डालूँगा अभी शौकिया चोरों की हरकतें देखते है। इंटरनेट की अनंत दुनिया का फायदा उठा कर कुछ लोग बड़ी शान से दूसरो के काम को अपना नाम दे देते है (कभी कबार अपने दोस्तों का ध्यान आकर्षित करने के लिए कुछ लोग ऐसा करते है और कभी-कभी ऐसा करना चल जाता है पर लगातार हर दूसरे-तीसरे दिन आदतवश नहीं), फिर ये आदत बन जाती है, ज़रा सी तारीफ़ के लिए झूठे दावे किये जाते है और नक़ल का स्तर बढ़ जाता है। धीरे-धीरे इनके बिना कुछ किये इनके हजारो-लाखों प्रशंषक बन जाते है और तब ये लोग पीछे न हटने वाली स्थिति में आ जाते है। और जिन कलाकारों का काम चोरी किया जाता है वो नेट के किन्ही छोटे से कोनो में लोगो कि प्रतिक्रिया के लिए तरसते रह जाते है। आप अपना समय और मेहनत किसी और काम में लगा सकते है। 1-2 साल बाद कोई महान हस्ती आपकी इस नक़ल कि समीक्षा नहीं करने वाली, कोई विकिपीडिया पेज नहीं बनने वाला आपका ऐसा करके। तो यही निवेदन है की आज आज से ही नक़ल को तौबा कीजिये क्योकि अपने देश में पहले से ही बहुत से फ्री की खाने वाले प्रीतम, बप्पी लहरी जैसे लोगो की फ़ौज पड़ी है।
.............क्रमशः
- मोहित शर्मा (ट्रेंडी बाबा)
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