शीतकालीन ओलम्पिक खेलों की स्पीड स्केटिंग प्रतिस्पर्धा में उदयभान भारत के लिए पदक (कांस्य पदक) जीतने वाले पहले व्यक्ति बने। यह पदक इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योकि भारत में शीतकालीन खेलों के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। मौसम के साथ देने पर हिमांचल, कश्मीर जैसे राज्यों में कुछ लोग शौकिया इन खेलों को खेल लेते थे। भारत लौटने पर उदयभान का राजा की तरह स्वागत हुआ। राज्य और केंद्र सरकार की तरफ से उन्हें 35 लाख रुपये का इनाम मिला। साथ ही स्थानीय समितियों द्वारा छोटे-बड़े पुरस्कार मिले। जीत से उत्साहित मीडिया और सरकार का ध्यान इन खेलों की तरफ गया और चुने गए राज्यों में कैंप, इंडोर स्टेडियम आदि की व्यवस्था की गयी। खेल मंत्रालय में शीतकालीन खेलों के लिए अलग समिति बनी। इस मेहनत और प्रोत्साहन का परिणाम अगले शीतकालीन ओलम्पिक खेलों में देखने को मिला जब उदयभान समेत भारत के 11 खिलाडियों ने अपने नाम पदक किये। उदयभान ने अपना प्रदर्शन पहले से बेहतर करते हुए स्वर्ण पदक जीता।
जब मीडियाकर्मी, उदयभान के घर पहुंचने पर उनका और परिवार का साक्षात्कार लेने आये तो उदयभान के माता-पिता कुछ खुश नहीं दिखे। कारण -
"रे लाला ने इतनी मेहनत की! पहले से जादा लगा रहा...गोल्ड जित्ता, फेर भी पहले से चौथाई पैसा न दिया सरकारों ने। यो के बात हुई? इस सोने से बढ़िया तो वो पीतल वाला मैडल था।"
उदयभान के साथ सभी मीडियाकर्मियों में मुस्कराहट फ़ैल गयी। पहले स्पॉटलाइट में उदयभान पहला और अकेला था...अब उसका पहला होना रिकॉर्ड बुक में रह गया और उसके साथ 10 खिलाडी और खड़े थे। जिस वजह से उसे पहले के कांस्य जीतने पर जितने अवार्ड और पैसे मिले थे, उतने इस बार स्वर्ण जीतने पर नहीं मिले।
समाप्त!
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