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Saturday, July 9, 2016

एकल-युगल-पागल (कहानी) - मोहित शर्मा ज़हन

"जी सर! मैंने चक्कू घोंप दिया ससुरे की टांगों में अब आपका जीतना पक्का।"

टेनिस एकल प्रतिस्पर्धा में स्टीव जो एक जाना-पहचाना नाम था, जिसके नाम कुछ टाइटल थे। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों के दौरान वह सफलता से दूर ही रहा। फिटनेस के हिसाब से उसमे 2-3 सीजन का खेल बचा था और इस बीच वह अधिक से अधिक टाइटल अर्जित करना चाहता था। सबसे पहले वह तुलनात्मक रूप से आसान और नीची रैंक के खिलाड़ियों से भरे टूर्नामेंट चुनता था ताकि उसके जीतने की सम्भावना बढ़े, किस्मत से वह एक नामी टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में पहुंचा जहां उसका प्रतिद्वंदी दुनिया का नंबर एक खिलाड़ी था। इस खिलाड़ी से पार पाना स्टीव के बस की बात नहीं थी। स्टीव ने उस खिलाड़ी को घायल करवाने के लिए अपने एक जुनूनी देशवासी को ब्रेनवाश किया कि देश के नाम और सम्मान के लिए उसे वर्ल्ड नंबर वन को खिलाड़ी घायल करना है। पूरी रात पार्टी कर अगले दिन वॉकओवर मिलना सुनिश्चित मान स्टीव कोर्ट पर उतरा जहाँ फिट्टम-फिट दुनिया का नंबर एक खिलाड़ी उसका इंतज़ार कर रहा था। उसके पैरो तले ज़मीन और खोपड़े छज्जे आसमान खिसक गए। काश कल न्यूज़ में कन्फर्म कर लेता तो दारु तो ना पीता, अब तो 6-0, 6-0 पक्का! पता नहीं किस बेचारे के पैरों में चक्कू घोंप दिया गधे ने? 

बगल के कोर्ट में इस प्रतियोगिता का युगल (डबल्स) टेनिस खेल रही एक टीम को वॉकओवर मिला क्योंकि उनकी विरोधी टीम के एक खिलाड़ी पर पिछली रात टांगलेवा हमला हुआ था, यह खिलाड़ी विश्व डबल्स टेनिस में नंबर एक रैंक पर था। 

इस कहानी से शिक्षा मिलती है जुनूनी के साथ-साथ थोड़ी अक्ल वाले बंदे-बंदियों से ऐसे काम करवाने चाहिए।

समाप्त!

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