...is "Celebrating (un)Common Creativity!" Fan fiction, artworks, extreme genres & smashing the formal "Fourth wall"...Join the revolution!!! - Mohit Trendster

Friday, July 25, 2014

सुनहरी जो मीरा :: मोहित शर्मा ज़हन



वधू से साधू फली,
लाल जोड़े में दमक पीताम्बरी,
राणा जी की विषैली जलन धुली... 
सुनहरी जो मीरा स्याह कान्हा में घुली। 

श्याम से रंग की आस लिये पिये विष प्याले,
भला कलियुग, भले इसके बंदे,
जोगन को दुनियादारी सिखाने चले। 

सावन वो पावन कर गयी,
जिसको डुबाती नदिया दो धारा हुयी, 
सजदे में अकबर की नज़रे झुक गयी,
सुनहरी जो मीरा स्याह कान्हा में घुली। 

जाने कैसा मोह, जाने कौन सहारा,
एक उसकी वीणा, दूजा जग सारा। 

तानो की अगन यूँ सही,
काँटो की सेज पर सोयी, 
रूखी सी ऋतुओं में निश्चल वो रही, 
सुनहरी जो मीरा स्याह कान्हा में घुली। 

अब तक बस शहजादों - परवानो के किस्सों को लकीर माना,
फिर एक नयी दीवानी को जाना,
उसने मन की मूरत को चुना,
दुनिया जिसे भ्रम कहती रही,
उस वहम से सच्चा इश्क़ बुना। 

सहस्त्रों में बाँट तुम संयत रही, 
फिर प्रेम मोल दो पटरानी जी,
उस जोगन को भी अपना श्याम दो रुकमणी,  
सुनहरी जो मीरा कान्हा में घुली। 

- मोहित शर्मा (ज़हन)  

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*) - Hindi-Urdu Experiment.

*) - Mirabai was a great saint and devotee of Sri Krishna. Despite facing criticism and hostility from her own family, she lived an exemplary saintly life and composed many devotional bhajans. Historical information about the life of Mirabai is a matter of some scholarly debate. The oldest biographical account was Priyadas’s commentary in Nabhadas’ Sri Bhaktammal in 1712. Nevertheless there are many aural histories, which give an insight into this unique poet and Saint of India. More: http://www.poetseers.org/the-poetseers/mirabai/index.html

Monday, July 21, 2014

खंडित धर्म का विलाप - मोहित शर्मा (ज़हन)


कई सौ वर्ष पहले की बात है एक राज्य के सबसे बड़े तीर्थ स्थलों में से एक मंदिर के बाहर जमावड़ा लगा था। कुछ लोगो में बहस हो रही थी की क्या आम-चीत में भगवान, देवी-देवताओं की उपमा देना ठीक है या नहीं। पुराणों, ग्रंथो में अनगिनत वृतांत, दोहे, दृश्य एवम संवाद वर्णित थे जो अनेक प्रकार के स्वभावो वाले मनुष्यों के जीवन की लगभग हर बात को समेटे हुए थे साथ ही कैसी परिस्थिति में कैसा आचरण आदर्श है यह भी बताते थे। सभी इस विषय पर वृद्ध पुजारी जी से सलाह चाहते थे। पुजारी जी ने समझाया की भगवान या धर्म के नाम पर कभी उग्र ना हों, इष्ट जन की ग्रंथो से अलग उपमा करना ठीक है पर यह ध्यान रखा जाये की इन बातों में देवों का सम्मान हो और भक्त उलटी-सीधी चर्चा में भगवान को लाने के बजाये अपने विवेक से काम लेकर ऐसा कुछ करें। 

राज्य बड़ा था जिसमे विभिन्न सूत्रों द्वारा जगह-जगह इस घटना और पुजारी जी की कही बात के वास्तविक रूप से बहुत अलग रूपों में बताया गया परिणाम स्वरुप भ्रांतियों फैलने लगी।  कहीं दूर के क्षेत्र में किसी ने उपमा को तुलना सुन लिया तो वहाँ की जनता सभी की तुलना देवों से करने लगे। "तू बड़ा घुमक्कड़ है, बिलकुल नारद ऋषि की तरह।", "मेरी छोटी लड़की तो काली माई है पूरी।" 

धीरे-धीरे यह आचरण आस-पास के इलाकों में पहुंचा। अपने पहले चरणों में बात गंभीर नहीं थी पर असामाजिक व् कुंठित तत्वों द्वारा फैलायीं अफवाहें बढ़ने लगी। राज्य का एक बड़ा घटक मानने लगा की किसी भी तरह की काल्पनिक कहानियों में भी भगवानो को लाया जा सकता है। जो उल्टा पूछे या सवाल किये जाने पर कोई ऐसी अफवाहों का उद्गम ना बता कर, ना उस बारे में सर खपा कर आराम से कह देता की तीर्थ के बड़े पुजारी जी ने बताया है, जबकि ऐसी बातों पर पुजारी जी का स्पष्टीकरण कुछ लोगो तक आकर ही दम तोड़ देता क्योकि चटपटी अफवाह, भ्रांति के सामने रूखे स्पष्टीकरण का क्या काम? खैर, पुजारी जी चिंतित तो हुए पर उनके जीवनकाल मे फिर भी धर्म की एक सीमा रही। 

पीढ़ियां बढ़ी, सैकड़ों वर्ष निकले और यह कमज़ोर भ्रांतियाँ विकराल रूप लेती चली गयी। कल्पना की उड़ान में भगवान के अनेको रूपों का उपहास उड़ाया जाने लगा, कुछ देवी-देवताओं की छवि काल्पनिक साहित्य में इतनी नकारात्मक दिखाई गयी की वो कई लोगो की घृणा के पात्र बने और वास्तविक पुराणों, ग्रंथों से तथ्य-मिथक सत्यापित करने के बजाय उनमे से कुछ नास्तिक और धर्म के कट्टर आलोचक बन गये जो धर्म के अनुयायियों की गलती का ठीकरा भी धर्म पर फोड़ने लगे, साथ ही खुद ऐसी भ्रांतियों के चलते फिरते कारखाने बन गये। धर्म की शक्ति देख बाज़ारीकरण का दानव भी हावी हो रहा था। 

समय के साथ बाहरी तत्व राज्य में घुले। कुछ धर्म सनातन की धारा से अलग होकर बने। कुछ नये धर्म, परंपरायें व्यापार या आक्रमण से यहाँ लाये गये। दूसरे तत्वों से मिलना ठीक था पर उनसे घुलकर एवम भ्रांतियों के जाल से अभिशप्त यह धर्म अपने घटक-गुण भुलाने लगा जिनकी जगह बाहरी तत्वों की सन्धि से बना परिवेश बनाने लगा। अब तक ना जाने कितनी बार अपने मतलब के लिये और जनता को शांत रखने के लिये इतिहास से खिलवाड़ किया गया, हर शासक द्वारा अपने स्वार्थ में इतिहास को बदला गया, अब तक अफवाहों की भी भरमार हो चुकी थी। एक समय समृद्ध राष्ट्र आज घिसट-घिसट कर बढ़ रहा था। 

तीर्थ श्रेष्ठ के पुजारी जी की आत्मा कई जीवन और योनियों में जन्म लेकर मोक्ष को प्राप्त होने बढे, पर तीर्थ में भगवान की आराधना के तेज से अपने पुजारी जन्म की स्मृतियाँ अब भी उनमे प्रबल थी। उन्होंने देवदूतो से धरती, अपने राज्य, तीर्थ, अपने वंशजों का हाल देखने की इच्छा जतायी, उनकी इच्छा का दूतो ने सम्मान किया और उन्हें उनके इच्छित स्थानो पर भ्रमण करवाया। धरती का हाल देख पुजारी जी विचलित हो गये, मानव जैसे मानव ना होकर प्रेत योनि के नीच जन सा आचरण कर रहे थे, हर जगह त्राहि-त्राहि थी। उनके पूर्व राज्य का आधा हिस्सा किसी और राष्ट्र ने हड़प लिया, जिसकी सीमा में उनका तीर्थ सिद्ध पीठ मंदिर था जिसको अलग संप्रदाय के कट्टर अनुयायियों ने शैतान के घर की उपाधि देकर खंडित कर दिया। कभी पुजारी रही आत्मा में अब इतना रोष और शोक था जितना कभी इन्होने अपने किसी जीवन में अनुभव ना किया हो। 

अपने वंशजो के बारे में जानने का कोतूहल हुआ। इनके वंशजो में से एक ने माहौल और अपने ही देश मे खिल्ली उड़ाये जाने का हवाला देकर अपना और अपने प्रियजनों का धर्मान्तरण करवा लिया था। धर्म बदलने के बाद यह चौथी पीढ़ी थी जिनमे सनातन धर्म के प्रति हीन भावना और उटपटांग अफवाहें थी जो अब बुरी तरह बदले इतिहास के अनुसार थी। जब पुजारी जी की आत्मा को अपनी इस पीढ़ी के व्यवसाय का पता चला तो मोक्ष पाने बढ़ रही पूर्ण, शांत आत्मा अशांत, अतृप्त सी हो गयी - उस पुजारी जिसने अपना एक जीवन तीर्थो मे श्रेष्ठ के चरणो में बिताया, उसके वंशज अंतः वस्त्रों, चप्पलों का दूसरे देशो में व्यापार करते है जिनपर देवी-देवताओं के चित्र अंकित होते है। 

पुजारी जी की अब अतृप्त आत्मा ने सोचा सब मेरे कारण हुआ। अगर उस  भगवान की आम बात-चीत में उपमा के प्रश्न पर या तुलना, काल्पनिकता आने पर किसी तरह तब सख्ती दिखायी जाती तो धीरे-धीरे इतनी विकट स्थिति ना आती की अपनी संस्कृति, देश, धर्म का लोग स्वयं ही उपहास उड़ाते, तोड़े-मरोड़े इतिहास को बिना शंकायें-विरोध किये मानते, हीन मानते, धर्म बदल लेते और आँखें मूँद कर "आज़ादी-आज़ादी" बिना उसका मतलब जाने चिल्लाकर खुद को 'दकियानूसी' लोगो  से ऊपर और बेहतर मानते। हर अवसर पर सीमा लाँघने के विरोध पर भोले जवाब मिलते की देखो अब तक तो इतना हो चुका है, हमने तो बस थोड़ी सी छूट लेकर ज़रा सा प्रयोग किया है। बात तो सही थी पर वर्षो से ज़रा-ज़रा दशमलव जुड़कर अब राक्षस सा रूप ले चुके थे। बाकी धर्मो के अवलोकन में पुजारी जी ने पाया की निंदक, आलोचक तो उनके भी बहुत थे पर इस स्तर का मज़ाक कहीं और बर्दाश्त नहीं किया जाता था। कुछ धर्मो में तो उनके ईश की उपमा देना तक इस आधुनिक युग में वर्जित था, उसपर भी ईश निंदा पर मृत्यु की सज़ा जैसे कानून जिसको तोड़ने वाले ना के बराबर अनुयायी या आलोचक थे। जो पुजारी जी के धर्म में युगो से चल रहा था,  यानी इस धर्म को दोहरी मार सहनी पड़ रही थी।

आत्मा ने देवदूतों से क्षमा मांगी और अपने अतृप्त हो जाने की बात बताई जिस कारण अब मुक्ति संभव नहीं थी। 

"मेरी सजा यही है की मैं अपने खंडित तीर्थ के खंडरो में दिव्य अवशेषों की सेवा करता रहूँ अनंतकाल तक।"

समाप्त!
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*Street Art - L 7 M


*Javier G.

Thursday, July 17, 2014

Doga (Raj Comics) ka Message - मोहित शर्मा (ट्रेंडी बाबा)



इसके भी थे अपने...इसका भी था घर,
कुचल दिये सब सपने...अरमानो का गाला घोंट कर,
तुझे बड़े होने का हक़ नहीं...तू नाबालिग़ ही मर।

तेरे लड़कपन की नादानी में कितनी ज़िंदगियाँ हारी,
बदन क्या गवाही देगा...जब चले रूखी आँखों की आरी,
हल्की उम्र पर गुनाह है भारी।

नातेदारों ने यूँ आसानी से कह दिया "बच्चे को एक और मौका दिया जाये !"
मैंने उनसे कहा सिर्फ़ चंद पल इस लड़की के घर की दहलीज़ पर बिताकर आयें।

#Doga

Harish Atharv Thakur, Ajay Thapa, Mohit Trendster, Youdhveer Singh
 — with Shiva Ji AryanAjay ThapaRavendra SinghMohit SharmaHarish Atharv ThakurDeepak Pooniya and Youdhveer Singh.

Monday, July 14, 2014

Bhukamp Peedit Ulkapind Video Monologue



*We apologize for average video and voice over quality.

Bhukamp peedit Ulkapind

1.     Nahi! Mai Bhukamp peedit nahi hun. Shehar mey Bhukamp aaya hai iska matlab ye to nahi ki us din kisi ke ghar antriksh se Ulkapind nahi gir sakti?” Haso mat!

2.     Arre koi meri baat kyu nahi maan raha? Sab hase hi jaa rahe hai. Mere ghar mey Ulkapind gira hai.

3.     Dekho…wait..mai lambi saans leta hun…shuru se batata hun.

4.     Humara domanjila makaan hai. Upar kiraydaar rehte hai aur neeche meri family. Mere parivaar mey mere mummy-papa hai jo Gaon….mera matlab Goa vacation par gaye hai. Kirayedaar young couple hai.

5.     Subah zor se ek dhamake ki aawaz huyi jaise sabse purani waali Mahabharat mey 2 teer takrate the to jo aawaz hoti thi waisi waali aawaz….aur maine mehsoos kiya ki meri baahon mey koi hai. Maine socha roz ki tarah sapna hoga aur upar waali Bhabhi hongi jab aankh khulengi to Kaamwaali ki jhaadu se udi dhool se Good Morning hogi.

6.     Par ek to dhamaka phir aaj sapne se ulat Bhabhi bahut kulmula rahi thi baahon mey, aankhen khuli to dekha meri baahon mey Bhabhi ki jagah Bhaiya chhatpate hue keh rahe the ki “Bhagwan k liye mujhe jaane de, Darinde!”

7.     Upar roof mey ched ho gaya tha jis se aasmaan dikhai de raha tha. Kamre aur Hall ko ghere hue ek badi chattan type padi thi jisme se dhuan nikal raha tha. Bhabhi aur Kaamwaali ka kuch ata-pata nahi tha kyoki Ulkapind seedhe unpar gira tha.

8.     Tabhi gande kapdo mey ek sundar si yuvati mere paas aayi aur boli….
“Bhaiya! Pair hatao, poochha lagana hai.”

9.     Ulkapind k jaadui asar se Kaamwaali Bai khoobsurat ho gayi thi. Tabhi nighty pehne hue Lasith Malinga hamare saamne aa gaya. To mai aur Bhaiya uske saath selfies aur autograph lene ki zid karne lage….Malinga Bola…

“Arre Murakh…mai teri bhabhi hun…”

Ulka k Jaadu se Bhabhi ki shakl Malinga jaisi lag rahi thi.

The End!

Actor – Prince Ayush (Debut Video)
Author - Mohit Sharma (Trendster / Trendy Baba)


Sunday, July 13, 2014

A Chudail's Love Story by Mohit Sharma (Trendster)



Artworks - Mr. Javier G. Pacheco

Originally Posted at and written for Freelance Talents Championship 2013 Semi Final Match against Mr. Rahul Ranjan with favorable result (72-58 Points) out of 100 points.



*) - A Chudail's Love story

Dharti ki taraf badhte hue 2 Yamdoot apne bhavishya ko lekar gehan vartalap kar rahe the.

Yamdootar - “Teri duty bhi Tadapur lagi hai, gaya beta tu. Ab overtime karta firiyo….tere tabadle ki khabar sunkar jis Apsara se tera rishta tay hua tha uske parents bhi ab uski shaadi Mr. Yamdoot 2013 se karva denge.

Waise, yaar ek baat samajh nahi aayi, finals mey to tu bhi pahuncha tha aur tere bhi dole uski takkar ke hai phir kaise haar gaya tu…Mr. Yamdoot ka muqabla….”

Yamdootesh - “Haan! Mai bhi Mr. Yamdoot ban sakta tha. Judges k anusaar to muqabla barabari ka tha phir Tie Breaker mey hum dono ki muchhon ki motai naapi gayi jisme mai aadha se bhi kum millimeter se haar gaya…bilkul photo finish type decision tha. And No way!! Mujhe overtime nahi karna. Waise aesa kya hai Tadapur mey?”

Yamdootar - “Har state mey jaise apni High Court hoti hai waise hi har rajya mey Dev Yamraj ne ek City aur uske aas-paas k gaon-dehat aesi atript aatmaon ko allot kar rakhe hai jo kisi bhi wajah se Yamdoot k saath swarg ya nark nahi jaa sakti. Tadapur mey Bharat ki sabse zyada atript aatmaon ka vaas hai. Bagal mey hi doosre rajya ka gadh Cheemapur sthit hai par wo shaant ilaka hai.”

Yamdootesh - “Haan to kya hua? Mai ek Certified Yamdoot hun, mai aesi tatpunji aatmao se nahi darta…”

Yamdootar - “Bhai, unse cooperate karke chaliyo, ek to wo atript bhoot log hai unhe chunne se kate rehte hai kuch na kuch karne ke. Din mey 2-4 galat kaam karne ki mismisi chhuti rehti hai unme. Sangathit rehne se unki shakti badh gayi hai, wo apne aage kuch nahi dekhte aadmi ho ya yamdoot seedhe baja dete hai joot hi joot.
Jab humari complaints par Dev Yamraj ka bheja koi senior Adhikari inspection k liye aata hai to ye sab bilkul Shone Babu se ban jaate hai, jaise deen duniya ka kuch pata hi nahi, un adhikariyon ke jaane k baad waapas Dhaki-chiki Dhaki-chiki Dhaki-chiki Aau.…humari deadline aur targets miss karvate rehte hai ye Shaitaan ke pille.”

Yamdootesh ka Tadapur mey aagman sukhad nahi hua tha. Dharti par aakar unhe pata chala ki jin 2 Netao ki aatmao ko wo nark le jaane aaye the unko lekar aatmao ki 2 communities mey Gang-war chhida hua hai. Jahan Pappu Pret Gang un Netao k nark jaane se pehle unhe pratadna dena chahta tha wahin Sweety Chudail Gang unhe chhupaye hue tha kyoki un 2 netao ne apne ek khaali farm house ko Sweety Chudail k naam kar diya tha. Pappu Pret apne samarthak Preton k bade dal k saath Sweety Chudail Gang Colony k bahar Bhompu lekar pahuncha.

Pappu Pret - “Yo Sweety! This is not done. Hum Pret-Chudail log padosi hai aur saath bhatakte hai in 2 netao ki to waise bhi nark mey bhat pitni hai us se pehle inhone hum pret logo k saath jo gunah kiye hai uske liye inhe 2-4 din rakh kar agar thoda sa khel le hum Pret jan to kya burai hai….aur Naspitti tu badi zubaan ki pakki ban rahi hai, le liya na Farm House inse ab dafa kar inhe. ”

Sweety – “Farm House itna bada hai, mai ek Chudail only space chahti thi jiske liye wo farm house ekdum perfect hai. Ye Neta kisi Aghori ko set karke aaye hai agar inke nark jaane tak inko bachaya nahi to har doosri jagah ki tarah wo Farm House Babban Bhoot Gang hathiya lega, Bhooton ki majority ka faayda utha kar. Wo risk mai nahi le sakti….”
Pappu Pret – “Lagta hai ab Yuddh ka samay aa gaya hai. Mai shapath leta hun ki jab tak un dono Neta Aatmao k dhar k joot nahi bajaunga aur saath mey har Chudail ki chuttiya nahi fhaaddunga, eye brow nahi noch lunga..tab tak chain se nahi bhatakunga….Preton! Phatt de Chadde…Oh! Sorry…Chak de Phatte!!!”

Sweety Chudail kisi wajah se chup thi aur ek boring Test Ballebaaz ki tarah baaton aur Chill Poo mey Preton ka time nikal rahi thi.

Ye nazara thodi door se dono Yamdoot aur nishpaksh Babban Bhoot Gang k members dekh rahe the.

Yamdootesh – “Oh no! Aese to hum un 2 Netao ko le jaane mey late ho jaayenge aur agar Sweety Chudail ne yuddh ka elaan kar diya to yahan arajakta faail jaayegi. Mujhe unhe rokna hoga….”

“Lagta hai yahan naye aaye ho…Tadapur mey late hone ki aadat daal lo!”
Yamdootesh – “Aapki taareef?”

“Bada jigra hai re….Babban Bhoot ki taareef puchhne waalo ki tashreef kaat di jaati hai. Par teri himmat se hum khush huey. Aa baith…arre baith jaa, abhi nahi lad rahe ye dono gangs. Sweety Gang ki Chudailen paas k kasbe mey Ladies Sangeet mey gayi hui hai, aane mey thoda time lagega. Nahi to abhi tak ho gaya hota inka Commonwealth. Arre Sharma! Iske liye Bhaang ki pakodiyan aur Dhature ka juice lekar aao…”
Yamdootesh – “Mai nasha nahi karta.”

Babban Bhoot – “Arre ek jaam to dushman k saath bhi lagaya jaata hai Darling…”
Yamdootesh – “NAHI !!! Mere kuch usool hai…”

Babban Bhoot – “O Kaka ji! Ye Aadarshvaad ki peepni kahin aur bajaiyo….Natthu! Shake the Babla!”

Babban k ek ishare par Bhooton ki toli ne Yamdootesh ko zabardasti Dhature ka Juice pilaya, Bhaang ki pakodiyan khilayi aur smack ke injections lagaye.

Babban Bhoot – “Haaye thandak si mil gayi ! Sachche, Saaf Dil logo ke usool, aadarsh, pratigya tudvaane ka jo maza hai na wo Eucalyptus par ulta latakne mey bhi nahi hai. Yamdootar samjhao apne dost ko…agar ye beech mey padkar unki ladai rukva dega to unke gang kamzor kaise honge? Inki aapas ki ladai mey 10-12 Pret-Chudail ki punchh kate, 2-4 Apahij hon tab hi to humara gang aur mazboot hoga. Nothing personal, you see politics hai hi aesi cheez.”

Yamdootesh ne nishchit Pret-Chudail yudh ko rokne k liye Dev Yamraj k khaas Sahayak Dev ko emergency  call lagayi jo turant apne Yamdooto ki toli ko lekar haazir ho gaye. Aese signals har aatma ko dikh jaate the aur hamesha ki tarah sthiti bhaamp kar sabhi atript aatmayen ‘shona babu’ mode mey aa gayi. Nazara dekh Sahayak Dev Yamdootesh par baras pade.

“Mujhe aapse aesi apeksha nahi thi Yamdootesh! Dekho kitne bhole bhoot, pyaare pret aur cute chudail hai ye sab. Mai to kehta hun ki Mrityulok mey pure innocence kahin hai to wo…..Yahin hai! Yahin hai! Yahin hai!

Masoom, nireeh aatmaon ko pata nahi kyu yahan niyukt hue Yamdoot yun hi badnaam karte hai. Abhi mai in 2 netao ko nark le jaata hun par aage se bina kaaran humey yun bulaya gaya to aap ghor dand aur shaap k bhaagi banenge. Ab hum chalte hai. Bam Bam Bholey!”

Pappu Pret – “Sampail aur Pampail. Jaiye aap log escort kijiye Sahayak Dev ki toli ko. Aajkal zamana bahut kharab hai.” *winks*

Pappu Pret ka ishara samajh Preton ki toli se Pampail Pret aur Sampail Pret, Sahayak Dev k kaafile se sat gaye aur poore raaste bhar Yamlok k dwaar tak dono netao ko saavdhani se rath ki aad lekar ghunse, laat pelte chale gaye.

Idhar Sweety aur Yamdootesh k naina char ho gaye the.

Babban Bhoot – “Yaar! Yamdootar le jaa isko, mai tere dost k ghusand hi ghusand bajaye chala jaunga. Abhi apne senior se daant khaayi hai par sudhra nahi….gandi soch!”

Yamdootesh ko beech mey dakhl dene ki penalty k roop mey usko allot hua quarter Bhooton ko dena pada aur wo Yamdootar k quarter mey shift ho gaya.

Ab wo apna kaam anmane tareeke se karne laga aur udaas rehne laga. Sweety se bhi Yamdootesh k affair ki khabar har taraf thi jis baat se Babban Bhoot, Pappu Pret naraaz the. Ek din wo Yamdootar ko bina bataye vacation par chala gaya. Apne dost k liye Yamdootar ne overtime kiya aur seniors ko bhanak nahi lagne di kuch din. Aakhirkaar, Yamdootesh kaam par lauta par wo kahan gaya tha ye nahi bataya.

Sweety bhi Yamdootesh k waapas aane se khush thi. Ab wo dono chhup-chhup kar milne lage. Ek din aese hi Sweety ki godi mein Yamdootesh sar rakh kar leta tha.
Sweety – “….Ye devlok ka fabric kitna smooth hai, mere liye bhi mangwa do thoda. Tumpar purple dhoti suit karti hai, skin tone k according bahut dashing lagte ho usme. Aur please jab kisi aatma ko pakda karo le jaane k liye, to Gada side mey mat daba kar chala karo awkward lagta hai jaise koi Cricketer out hokar jaa raha ho.”

Yamdootesh – “Alright Janu! jaisa tum kaho. Kitni care karti ho tum meri. Thanks! You know what mai waapas kyu aaya….just because I feel poor when I don’t have your presence…”

Sweety – “Awwwww tumhari aawaz mey Janu kitna cute lagta hai.…aur Please please please tumhari eye brows bahut thick hai please threading karva liya karo kuch weeks mey, koi issue ho to mai kar dungi. Don’t be conscious na…Aajkal ladke bhi karva lete hai.”

Idhar ek Tantrik Yoman Baba ne Tadapur mey pravesh kiya jinka udeshya zyada se zyada aatmao ko mukti dilvana tha. Kai aatmayen aesi thi jinko shaanti k liye manviy roop se kuch jatan karne padte jaise koi apne ghar ke peeche naale ki zameen mey dhan gaad gaya tha apne parivaar k liye par achanak maut se kisi priyjan ko bata nahi paaya, ya kisi ki beti ka padosi k saath affair tha par ye pata chalte hi usko heart attack aa gaya aur unka affair chalta raha, apne padosi aur beti ko saza dene k uske armaan dhare reh gaye upar se jo baat sun kar usko heart attack hua wo uske marne k baad jaari thi….aese hi kai aur adhuri bhautik baaton aatmao ko atript bana diya tha.

Yoman Bana dheere dheere aese bhautik kaamo ko niptane lage aur kuch samay baad adhiktar atript aatmao ke bhautik bandhan toot gaye par ab bhi aatmao ki poorn mukti k liye unke gadh mey Amavas k ratri pahar mey ek maha-hawan baaki tha. Kuch aatmao k case hopeless the unhe kabhi mukti nahi mil sakti thi jaise kisi aatma ne kisi Raja ki poori kaum ko khatm karne ki pratigya lit hi par baad mey pata chala ki us Raja ki 400 se adhik anaitik santaane thi jinki apni kai santane ho chuki thi aura lag alag disha mey kai peedhiyan chal padi thi. 1-2 logo ki baat hoti to pehle Aghori reh chuke Yoman Baba khopche mey leke mundi marodne mey koi gurej na dikhate par baat yahan hazaro lakho logo ki thi. Santosh ki baat ye thi ki aesi hopeless aatmao ki sankhya kum hi thi. Yoman Baba k maha-yagya manshaon ki bhanak Bhooton, Preton aur Chudailon ko ab tak lag chuki thi. Prabhavshaali netao ko darr tha ki itni sankhya aatmao ka mukt ho jaana unke varchasva par prabhav daal sakta hai isliye unhone Yoman Baba ko molest karte hue Tadapur se khaded diya.

Unhe ye bhi pata chala ki itne din jo Yamdootesh gayab tha uska prayojan in Yoman Baba ko Tadapur laana tha. Yamdootesh ki phir se haaziri hui sanyukt sabha mey.

Yamdootesh – “Haan, bulaya maine Yoman Baba ko par mujhe laga tum logo ko shaanti milegi to us se khush hoge. Nahi chahiye shaanti to koi baat nahi. Mujhe aur punish mat karo, mai ab tum logo ki dincharya, ratricharya mey koi interfere nahi karunga. Jo marji aaye karo…”

Idhar Yamdootesh scene se gayab ho gaya aur usko Tadapur aur Cheemapur ki seema par sthit ekaant mey, No Man’s Land….No Ghost’s Land mey dekha jaane laga. Ab Yamdootesh ka Sweety se milna bhi bahut kum ho gaya. Yamdootar ne apne saathi par bilkul giveup kar diya tha.

Sweety ne ek din Yamdootesh ko ek khoobsurat Soni Chudail ke saath hangout karte dekh liya. Sweety aur Yamdootesh mey zabardast jhagda hua aur Sweety ruth kar chali gayi. Idhar Babban Bhoot aur Pappu Pret ka dil bhi Soni Chudail par aa gaya. Cheemapur mey bhi 2-3 prabhavshaali Bhoot, Pret pehle se hi Soni k deewane the. Pappu ne apne prabhav se Soni ko pana chaha par ye divya niyam tha ki bina vivah k doosre rajya ki seema mey pravesh nahi kiya jaa sakta, sirf No Ghost’s Land se koshish ki jaa sakti hai. Yamdootesh k charm se jealous Pappu, Babban ne usey Soni k Swayamvar k liye challenge kiya jo baat sun seema k doosri aur k bade Bhoot, Pret bhi aa gaye.



Soni k swayamvar k liye aagami amavas ki raat yaani agli hi raat nirdharit ki gayi jisme shakti, charisma, dance, singing gigs aadi pratiyogitaon mey dono rajyo k kuch Bhoot, Pret aur Yamdootesh mey muqabla hona tha. Ye aayojan Tadapur aur Cheemapur ki seema par hona tha jisko dekhne k liye dono taraf ki atript aatmao ki bheed lag gayi. Saathi Yamdootar ne Yamdootesh ko chaitavni di ki agar wo Chudail se shaadi par ada raha to wo high command shikayat kar usko suspend karva kar inhi atript aatmao ka ek saath banva dega. Par Yamdootesh par koi asar nahi pada.

Muqable hote gaye aur har muqable mey Yamdootesh jeetta raha. Idhar apne hero ko kisi aur ko pane k liye inti intensity dikhate hue Sweety ka dil ro raha tha. Wo apna Chudail gang lekar wahan se ud chali. 

Yamdootar ne bhi apni shikayat darj ki jiska review Amavas mey adhik shaktishaali huyi duniya bhar mey aatmao ki shaitaniyon ki wajah se abhi pending tha aur karyavahi swaroop  Sahayak Dev ko aane mey abhi kuch ghante lagne the.

Yamdootesh – “Kyu be Babban, Pappu…badi mismisi chhuti rehti hai, supporters ki bheed mey Vidhayako waala style maarte ho, bheed ki aad mey to bade laat-ghunse chalate ho. Ab aao one on one….na tum dono ki poonch kaat di to mera naam Yamdootesh nahi Kaddukesh.

Kaafi der tak chale muqablon mey sabhi maamlo mey Yamdootesh ne bade margin se comprehensive victories darj ki.

Aakhir mey jab varmala dalne ki baat aayi to Soni Chudail ne Cheemapur k ek Bhoot k gale mey varmala daali. Sab achambhit the ye kya hua. Ye khabar Khabri Chudail ne Sweety ko di to wo bhi kotuhal mey waapas venue par aa pahunchi.
Yamdootesh ne announcement kiya.

“Aaj Amavas ki raat jab aatmayen sabse adhik shaktishaali hoti hai us din bhi apna poora zor laga kar Swayamvar mai jeeta hun sirf apne prem se mili prerna ki wajah se par wo Swayamvar Soni k liye nahi tha, mera Swayamvar to Sweety k liye tha.”

Peepal par ulti latki achambhit, avaak Sweety dhadaam se zameen par giri.

“Ye sab ek natak tha jisme mere saath Cheemapur ki achchhi aatmayen shaamil thi. Unse milkar mujhe pata chala ki atript aatmayen hamesha huddangi ya bawaali nahi hoti balki achchh ibhi ho sakti hai bas unke neta aur disha nirdesh karne waali badi aatmayen achchhi honi chahiye. Soni ki pehle se hi shaadi ho chuki thi aur usne apne pati k gale mey hi varmala daali. Sweety ko bhi maine ye plan late bataya. Ab jab mai aap sabko sambodhit kar raha hun to bata dun ki Yoman Baba phir se Tadapur ki seema mey hawan kar rahe hai aur mere mic par swaha bolte hi wo poorn aahuti denge jis se aapme se adhiktar aatmao ko mukti mil jaayegi….. Yoman Baba Swaha!”

Isi k saath kai aatmayen aakash mey vileen ho gayi. Bas kuch Bhoot, Pret Neta aur Sweety samet kuch Chudailen bach gayi.

Babban Bhoot – “Par….humne to Tadapur mey jagah-jagah apne guard Bhoot-Pret chhode the kisi aapatkaaleen baat k liye….”

Yamdootesh – “….wo beech mey uth k jo Sweety Gang gaya tha wo kya ladies sangeet karne gaya tha? Kuch se to Yoman Baba khud nipat liye aur kuch ko sula diya Sweety & Company ne. Aur Ab zara tameez mey rehna 5-7 bache ho total usi style mey joot hi joot bajaunga jaise tum kabhi bajate the.”

Yamdootesh ne Yoman Baba ko Babban aur Pappu ko peetne, molest karne ka poora mauka diya. Phir unka dhanyavaad kar unko vida di. Inspection karne aaye Sahayak Dev eksaath itni aatmao ki mukti se khush dikhe par unhe verify karna tha ki kya Yamdootesh ne kisi Chudail se Shaadi ki hai.

Wo Tadapur mey bachi 4-5 Chudailon ki neta Sweety se mukhatib hue.

“Kya Yamdootesh ka kisi sthaniye ya videshi Chudail se chakkar chal raha hai? Kya wo aapki taraf aakarshit hote hai?”

Sweety Chudail – “Aapko galat soochna mili hai. Yamdootesh bahut hi kartavyaparayan Yamdoot hai. Itni aatmao ko shaanti pahuchane ka poora shrey unhi ko jata hai. Kuch prabhavshaali Bhooton ke dabaav mey wo sandesh aap tak gaye the. Waise bhi hum badsurat Chudailon ki aesi kismet kahan jo hum unhe paa saken…”

Ye sun Yamdootesh bhavuk ho gaye.

Sahayak Dev samanya sthiti dekh Yamdootar ko warning dekar chale gaye.

Sweety Chudail – “Prem karne se pehle duniyadaari ki sudh nahi rehti aur jab duniyadaari ki sudh aati hai tab tak prem ho chuka hota hai. Mujhe pehle hi pata tha ki humara milan nahi ho sakta par mai to pehle se hi atript hun isliye adhoori aankanshaon ki aadat hai Sweety ko. Tumhe door se hi sahi prem karti rahungi….”

Uske baad anya rajyo ki tarah Tadapur mey bhi vyavastha dharre par aayi aur wahan ki is doosri duniya mey bhi shaanti aayi.

Samapt!!!

- Mohit Sharma (Trendster)

Monday, July 7, 2014

Last Train to Mahakali (1999) - Review : (मोहित शर्मा ट्रेंडी बाबा)



‘Last Train to Mahakali’, ek jhalak thi Anurag Kashyap ki soch ki jo aane waale samay mey Indian Cinema ka rukh badalne waali thi. Yeh unke dwara nirdeshit pehli film thi jiske liye budget to bahut kum tha hi saath hi equipments bhi udhaar ke the. Camera udhaar tab mila jab Anurag ne apne ek dost ko film mey role ka vaayda kiya. Tab tak ek lekhak k roop mey Anurag ki kuch pehchaan bani thi kyoki wo Ram Gopal Varma k liye kuch films ki scripts likh chuke the aur tab unki likhi Satya ko khoob tareefen mil rahi thi.
Kismat se tab Star Plus channel naye writers aur directors ko promote karti hui self contained short films ki ek series Star Bestsellers bana raha tha. Anurag k concept ko Star team ne haatho haath liya aur unhe poori chhut aur bada platform diya.

Film ki kahani ek journalist (Nivedita Bhattacharya) dwara sazayafta medical scientist (Kay Kay Menon) ki mulaqat se hoti hai jisko ek virus immunity drug banane ka junoon tha aur is kaam mey wo safalta ke kareeb bhi aa gaya tha par apne is kaam ki safalta k liye use apni banayi drug ka experiment insaano par karna tha jiski ijazat uske institute AIIMS ne nahi di aur college chhod kar wo alag prayog karne laga, is kram mey uske haatho kuch galtiyan aur apradh hue, par aakhirkaar uski drug ko jab success mili to uska medical subject (ek pagal aurat) gayab ho gaya aur wo kuch saabit nahi kar paaya. Ab journalist is Doctor ko insaaf dilana chahti hai. Film ka ant ek alag andaz mey natkiye ghatnakram se hota hai.

Kay Kay Menon aur Nivedita ka abhinay kamaal ka hai. Menon sahab k baare mey to waise ye kehne ki aadat ho gayi hai. Shayad isi kamaal ki wajah se Anurag Kashyap brand k ek sthai ghatak ho gaye Menon ji.Waise ye lovestory nahi hai par dono saath mey sehaj lagte hai (baad mey pata chala ki dono shaadishuda hai….he he). Baaki kirdaaro (Vijay maurya, Luvleen Mishra, Shrivallabh Vyas) k paas karne ko zyada kuch tha nahi par jitni bhi footage mili sabne prabhavit kiya. Film ka ek khaas feature jiska shrey jaata hai Natarajan “Nutty” ko, uski Cinematography, camera work hai jo darshak ko baandh kar rakhne mey aham bhoomika nibhata hai.



Awards & Recognition - Special Jury Award at the 8th Annual Star Screen Awards. In 2005, the film was one of the four short films screened at an event organized by Films Anonymous at Hyderabad.


421 Brand Beedi Rating – 7.5/10 (Grade: B+)

 - Mohit Trendster