...is "Celebrating (un)Common Creativity!" Fan fiction, artworks, extreme genres & smashing the formal "Fourth wall"...Join the revolution!!! - Mohit Trendster

Saturday, November 16, 2013

Jerry Bhaiya ka India Tour


Jerry Tour of India :)

Mohit Sharma (Trendy Baba) with super talented artist Atharv Thakur, Youdhveer Singh.

Wednesday, November 13, 2013

Deadly Deal (Indi Horror Series) by Mohit Sharma


Wrote "Deadly Deal" (Horror) way back in 2006 & last year (2012) Kuldeep Babbar liked the idea so I wrote a 20 Page script on this story. He made that in record time within 3 weeks but then project got delayed due to other commitments & hurdles. Finally, another artist Atharv Thakur is giving the artworks final touch up. Coming this Decemeber!!!!

- Mohit Sharma (Trendy Baba / Trendster)

Tuesday, November 5, 2013

Rooh Ghulam-e-Hind Deewani (रूह गुलाम-ए-हिन्द दिवानी) - Tribute Poetry

 Dedicated to Kargil War Heroes! (1999)

16 October 2013
रूह गुलाम-ए-हिन्द दिवानी, 
सजी दुलहन सी बने सयानी।

फसलों की बहार फिर कभी ....
गाँव के त्यौहार बाद में ...
मौसम और कुछ याद फिर कभी ....
ख्वाबो की उड़ान बाद में। 
मांगती जो न दाना पानी,
जैसे राज़ी से इसकी चल जानी?
रूह गुलाम-ए-हिन्द दिवानी। 

वाकिफ है सब अपने जुलेखा मिजाज़ से, 
मकरूज़ रही दुनिया हमारे खलूस पर,
बस चंद सरफिरो को यह बात है समझानी, 
रूह गुलाम-ए-हिन्द दिवानी। 


वक़्त की धूल ज़हन से झाड़,
शिवलिंग से क्यों लगे पहाड़?
बरसो शहादत का चढ़ा खुमार,
पीढ़ियों पर वतन का बंधा उधार,
काट ज़ालिम के शीश उतार। 
बलि चढ़ा कर दे मनमानी,
रूह गुलाम-ए-हिन्द दिवानी। 

यहीं अज़ान यहीं कर कीर्तन,
यहीं दीवाली और मोहर्रम,
मोमिन है सब बात ये जानी,
रूह गुलाम-ए-हिन्द दिवानी। 

काफिर कौन बदले मायने,
किसी निज़ाम को दिख गए आईने। 
दगाबाज़ जो थे ....चुनिन्दा कर दिये,
आड़ लिए ऊपर दहशत वाले ...कुछ दिनों मे परिंदा कर दिये। 
ज़मीन की इज्ज़त लूटने आये बेगैरत ....
जुम्मे के पाक दिन ही शर्मिंदा हो गये। 

बह चले हुकुम के दावे सारे ....जंग खायी बोफोर्स ....
छंट गया सुर्ख धुआं कब का....दब गया ज़ालिम शोर ....
रह गया वादी और दिलो में सिर्फ....Point 4875 से गूँजा "Yeh Dil Maange More!!"
ज़मी मुझे सुला ले माँ से आँचल में ....और जिया तो मालूम है ...
अपनी गिनती की साँसों में यादों की फांसे चुभ जानी ...
रूह गुलाम-ए-हिन्द दिवानी। 


- Mohit Sharma (Trendster / Trendy Baba)