तकनीकी गड़बड़ी से एक यात्री विमान ज़मीन से हज़ारों मीटर ऊपर भीषण डीकम्प्रेशन से बिखर कर बंगाल की खाड़ी में गिर गया था। अचानक दबाव के लोप हुआ धमाका इतना भीषण था कि किसी यात्री के बचने की संभावना नहीं थी। 279 यात्रियों और विमान दल में केवल 112 व्यक्तियों की क्षत-विक्षत लाशें मलबे से चिपकी या तैरती मिली, बाकी लोगो को सागर लील गया। बैंक लिपिक रूबी के पिता शॉन इस फ्लाइट में थे। पूरे दिन के सफर के बाद जांच-बचाव केंद्र पर पहुंच कर रूबी को पता चला की एक को छोड़कर बाकी सभी शवो की उनके परिजनों द्वारा पहचान हो चुकी है। हाल ही में कैंसर पीड़ित अपनी माँ को खो चुकी रूबी ने बुझे मन से आखरी शव को देखा तो चेहरा और शरीर पहचान में न आ सकने वाली हालत में थे, पर शव के पैर पर चोट का लंबा निशान रूबी के लिए अपने मृत पिता को पहचानने के लिए काफी था। सिसकती हुई रूबी औपचारिकताओं के लिए आगे बढ़ी तो उसे एक आवाज़ ने रोका।
"तुम्हे कोई गलतफहमी हो गई है बेटी! यह मेरे पति हैं।"
रूबी ने उस वृद्धा को दया से देखा और कुछ देर समझाने की कोशिश की, पर वह औरत अपनी बात पर अड़ी रही। थोड़े समय बाद रूबी के सब्र का बांध टूट गया और वह उस बूढ़ी महिला पर चिल्लाने लगी। आस-पास अन्य यात्रियों के कुछ परिजन और जांच अधिकारी आ गए। भीड़ मे कोई बोला - "अरे...ये औरत पागल हो गई है। पहले 2 लाशों को अपना पति बता रही थी फिर वहां से भगाया इसे।"
अब रूबी ने उस औरत पर ध्यान दिया, उसका हुलिया व्यवस्थित था। वह शांत थी और उसके व्यवहार में पागलपन जैसा कुछ नहीं दिख रहा था।
एक अधिकारी ने मामला सुलझाना चाहा - "देखिए अगर शव पहचान में विवाद है तो डीएनए जांच के लिए भेजे जा सकते हैं।"
रूबी - "नहीं ऑफिसर! डीएनए टेस्ट मत करवाइये, मैं अपना क्लैम वापस लेती हूँ...यह मेरे पिता नहीं हैं।"
सबकी अविश्वास भरी नज़रों और मुँह पर लेकिन के जवाब में रूबी दबी ज़ुबान में बोली "...शायद इस समय मुझे मेरे पिता से ज़्यादा इन्हे इनके पति की ज़रूरत है।"
एक बार शव को प्यार से छूकर रूबी ने नम आँखों से ही पिता का अंतिम संस्कार कर विदा ली।
समाप्त!
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