मोहित मिला भगवान जी (के अंश) से!
मोहित की लिखी नॉवेल का क्रेडिट उसके पब्लिशर ने किसी बड़े लेखक को दे दिया.
मोहित एक पहाड़ी पर चढ़ गया और चिल्लाया. उसकी आवाज़ वादियों मे गूंजने लगी.
"भगवान...(echo - भगवान.... भगवान.....भगवान.....भगवान......भगवान...!!!!!)
आज.....(echo - आज......आज......आज.....आज......आज........!!!!!!)
मै....(echo - मै....मै......मै......मै........!!!!!)"
उसकी आवाज़ को एक आकाशवाणी ने रोका.
"ज्यादा फुटेज मत खा...ECHO से ही तेरी फेसबुक की केरेक्टर लिमिट ख़त्म हो जायेगी. पता है हमे की तेरे किये का क्रेडिट किसी और ने ले लिया है...पर ये तो दुनिया है यहाँ copy, cheat .....सब चलता रहता है. यही जीवन के खेल है."
मोहित : "भगवान जी? इतनी जल्दी कैसे आ गये???? ये कौन मुझे भोंपू से बोलकर उल्लू बना रहा है...? आज कल कोई काम नहीं है लोगो के पास!"
{नोट - पहाड़ी पर सभी आवाजें By Default गूँज रहीं है!}
"उल्लू.. तो तुम रेडीमेड हो...मै भगवान का एक छोटा सा अंश हूँ ....मुझे पता है आज तुम्हारा व्रत है और तुम सुबह से 4 गिलास भर के चाय पी चुके हो."
मोहित : "ये बात तो सिर्फ मम्मी को पता है तो क्या...मम्मी...ऊँह-हुंह....क्या मम्मी ये कैसा मजाक है...कहाँ छुपी हो आप....आवाज़ कैसे बदल ली...अच्छा!! मेरी चाल मुझी पर...और मै इतने दिनों से नयी शर्ट खरीदवाने को कह रहा हूँ वो नहीं ली गयी...ये भोंपू खरीद लिया बिना बात के..."
"अबे ओये...मुझे ये भी पता है की पहाड़ी पर आते समय तूने खस्ता, जलेबी भी पेल दिए है...व्रत रखना नहीं आता तो क्यों स्टाइल मारते हो?"
मोहित : "खस्ता? जलेबी? ये बात तो...छी छी छी...नाथू हलवाई..मै तुम्हारा रोज़ का कस्टमर हूँ एक दिन खुले पैसे नहीं दिए तो यहाँ तक भोंपू लेके पीछा करोगे?"
"बेटा, मेरा टेस्ट मत लो...अभी बिजली कड़कड़ा दूँगा तो मिलोगे नहीं. तुमने पिछले जन्म मे तपस्या की थी पर जब हम प्रकट हुए और तुम्हे तपस्या से जगाया तो तुम हमे देख कर इतने खुश हुए...की ख़ुशी के मारे चल बसे. इसलिए हम तुम्हारी तपस्या का तेज, तुम्हारी मनोकामना इस जन्म मे फारवर्ड कर रहे है. अब भी विश्वास न हो तो आज तुमने स्किन कलर कि....या रुको आज तो तुमने अंदर.... "
मोहित : "नो....नहीं..ओके!....मै मान गया....कि आप भगवान के अंश है....मेरी इच्छा ये है की दुनिया मे रेगुलर चोरी और चीटिंग करने वाले लोगो को आप नर्क मे एक महीने का क्रेश कोर्स करवाए की वो जीवन मे फिर ऐसे काम ना करे."
"तथास्तु!"
और मोहित वापस नाथू हलवाई की दूकान पर चला गया.
अगले दिन मोहित फिर से उस पहाड़ी पर पहुँच गया था.
मोहित : "भगवान...(echo - भगवान.... भगवान.....भगवान.....भगवान......भगवान...!!!!)"
"बक! क्या कुछ बिमारी है क्या तुम्हे? तुम किसी सुनसान मंदिर नहीं आ सकते? ये सुसाइड पॉइंट है..पीछे से कोई धक्का दे देगा या तुम्हे धप्पा बोल देगा न तो तुम्हारे मरने का क्रेडिट तुम्हे ही मिलेगा इस बार, छगन भुजबल कहीं के! "
मोहित : "भगवान जी के अंश जी! दुनिया के कई लोग अचानक गायब हो गए है! वो तो ठीक है क्योकि शायद वो लोग नियमित चोरी या चीटिंग, आदि करते होंगे. पर फेसबुक, आदि सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर मेरे 500 से ज्यादा दोस्तों मे से 25 रह गए है....बाकियों के घर से उनके गायब होने की खबर आ रही है. क्यों?"
"क्योकी वो सब के सब कभी कबार नही बल्की अपनी UPDATES, PICS, ETC पर 'REGULARLY' पहले से Popular Songs, Quotes, Titles, Ghazals, Lines, आदी लगाते रहते थे!!!!"
.......THE END!!!!!!!!!
शिक्षा - कहानी से हमे ये शिक्षा मिलती है कि आपकी खुद कि सोच बहुत खूबसूरत है. अपने शब्दो मे अपनी बात लिखीये चाहे वो "उनसे" बेहतर न हो पर ORIGINAL और आपकी अपनी तो होगी.....कभी-कभी कि बात अलग है.....मगर अक्सर दूसरो कि मेहनत पर मुफ्त कि लाईकस, कमेंट चाहना गलत है.....और छोटी हो या बडी....चोरी तो चोरी होती है...क्यों है ना?